दामिनी के साथ जो अत्याचार हुआ उसके लिए पूरा देश एकजुट हुआ. यह एक शुभ संकेत है की युवा शक्ति अत्याचार और अन्याय के खिलाफ एकजुट होना शुरू हो गयी है, युवा शक्ति को अपने देश और समाज की चिंता है. पर इसके साथ ही एक सवाल भी उठता है की दामिनी की चिर निद्रा के साथ आप लोग भी सो नहीं जाना.. मैं मुंबई में रहती हूँ , मैंने देखा है की यहाँ के लोग और जगहों की तरह संवेदनशील नहीं होते, सब मशीनी जीवन जीते है, लोंगो के दुःख सुख से किसी को कोई मतलब ही नहीं, , देश में बहुत कुछ गलत हो रहा है. भूख से बिलबिला रहे मासूम कचरे में पड़ी जूठन को खाकर जीते हैं, महिलाओ के साथ अत्याचार हो रहा है, बलात्कार हो रहे हैं, हमारे देश के नेता अपने स्वार्थ में देश में व्याप्त समस्याओ के प्रति गंभीर नहीं हैं।
दामिनी के मुद्दे को लेकर यदि लोग जागृत नहीं होते तो सर्कार सोती रहती। पर लोंगो ने बिना किसी हथियार के सिर्फ एकता दिखाकर सर्कार को जागने के लिए मजबूर कर दिया। आज देश के जो जिम्मेदार लोग रो रहे हैं, यदि हरु से उनके क्रियाकलापों को देखा जय तो सभी घडियाली आंसू बहा रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपना वोट बैंक जो युवा शक्ति के रूप में है खिसकता दिखाई दे रहा है। हमें तब तक संघर्ष करना है जब तक उन अत्याचारियों को फांसी की सजा नहीं हो जाती।
दामिनी भले ही चली गयी पर उसने देश को जगाने का कार्य किया है। उसका बलिदान सदियों तक याद किया जायेगा। पर आज के बाद हम कही सो न जाये इसका भी ख्याल रखना होगा। यदि हम अपने कर्तव्यों की इतिश्री सिर्फ इतने से मान ले की अगले वर्ष एक बार फिर हम इंडिया गेट पर जमा होकर दामिनी की याद में मोमबत्ती जला देंगे और उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे तो उसकी आत्मा शांत होगी। जी नहीं हमें उसके बलिदान को भूलना नहीं होगा।
देश में जगह जगह बलात्कार हो रहे है । महिलाओ के साथ उत्पीडन हो रहा है। लोंगो के अधिकारों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। लोंगो की भावनाओ को कुचला जा रहा है। पर हम चुप रहते हैं। आईये हम सब मिलकर शपथ ले की समाज से प्रत्येक बुराईयों को मिटने के लिए हमेश एकजुट रहेंगे। अंधी और बहरी हो चुकी सर्कार के कानो में अपनी आवाज़ की दुन्दुभि बजाते रहेंगे। यह अभियान सिर्फ दिल्ली में चलने से पूरा नहीं होगा बलिकी हमें पूरे देश में ऐसे अभियान चलने होंगे। और यही दामिनी को होगो सच्ची श्रद्धांजलि। .. डिंपल